Shlok

Krishan Shlok

वासुदेव सुतं देवं कंस चाणूर मर्दनम्।
देवकी परमानन्दं कृष्णं वन्दे जगद्गुरुम्॥

अर्थ – वसुदेव पुत्र, कंस और चाणूर जैसे दैत्यों का वध करने वाले,
देवकी के परमानन्द, जगद्गुरु भगवान कृष्ण को वन्दन

आकाशात् पतितं तोयं यथा गच्छति सागरम् |
सर्वदेवनमस्कार: केशवं प्रति गच्छति ||

अर्थ – जिस प्रकार आसमान से बरस कर जल सागर की और ही जाता है,
उसी प्रकार सभी देवताओं को किया हुआ नमन भी श्री हरि (श्रीकृष्ण) को ही समर्पित होता है॥

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