कराग्रे वसते लक्ष्मी:, करमध्ये सरस्वती ।
कर मूले स्थितो ब्रह्मा:, प्रभाते करदर्शनम ॥
अर्थ -हाथ के अग्र भाग में लक्ष्मी, मध्य सरस्वती और मूल में गोविन्द (परमात्मा ) का वास होता है। प्रातः काल में (पुरुषार्थ के प्रतीक) हाथों का दर्शन करें। दिन भर पुरूषार्थ करें।
प्रदोषे दीपक: चन्द्र: प्रभाते दीपक: रवि: ।
त्रैलोक्ये दीपक: धर्म: सुपुत्र: कुलदीपक: ।।
अर्थ – संध्या-काल मे चंद्रमा दीपक है, प्रातः काल में सूर्य दीपक है, तीनो लोकों में धर्म दीपक है और सुपुत्र कुल का दीपक है।