नीलाम्बुज श्यामल कोमलांगम सीतासमारोपित वामभागम् |
पाणौ महासायकचारूचापं नमामि रामं रघुवंशनाथम् ||
अर्थ -नील कमल के समान श्यामल, सुंदर, साँवले और कोमलांगी
जिनके बाँई और सीता मत विराजमान है,
जो अपने हाथों मे अमोघ धनुष बाण धरण किए हैं,
ऐसे रघुकुल शिरोमणि श्री राम को हम नमन करते हैं.
मुखो पवित्रं यदि रामनामं।
हृदय पवित्रं यदि ब्रह्म ज्ञानं।।
चरणौ पवित्रं यदि तीर्थ गमनं।
हस्तौ पवित्रं यदि पुण्य दानं।।
अर्थ -“राम नाम स्तुति से मुख पवित्र होता है,
ब्रह्मज्ञान प्राप्ति से ह्रदय पवित्र होता है,
तीर्थ यात्रा एंव दर्शन से चरण पवित्र होते हैं,
और दान पुण्य से हस्त पवित्र होते हैं.”