कराग्रे वसते लक्ष्मी:, करमध्ये सरस्वती ।
कर मूले स्थितो ब्रह्मा:, प्रभाते करदर्शनम ॥
अर्थ -हाथ के अग्र भाग में लक्ष्मी, मध्य सरस्वती और मूल में गोविन्द (परमात्मा ) का वास होता है। प्रातः काल में (पुरुषार्थ के प्रतीक) हाथों का दर्शन करें। दिन भर पुरूषार्थ करें।
नमस्ते गरुड़ारूढ़े कोलासुरभयंकरि।
सर्वपापहरे देवि महालक्ष्मी नमोस्तुते।।
अर्थ -गरुड़ारूढ़ माता लक्ष्मी भगवान नारायण के साथ हमेशा आपके घर में स्थाई रूप से निवास करें ।
आपके घर परिवार में सुख समृद्धि ऐश्वर्य संतति आरोग्यता निरोगता की निरंतर वृद्धि हो ।
महालक्ष्मी नमस्तुभ्यं, नमस्तुभ्यं सुरेश्र्वरी ।
हरिप्रिये नमस्तुभ्यं, नमस्तुभ्यं दयानिधे ।।
अर्थ – धन की देवी श्री महालक्ष्मी को नमन, देवाधिदेव मे सर्वोच्च देवी को नमन, श्री हरी विष्णु भगवान की प्रिय देवी को नमन एंव दया की सागर महादेवी को नमन है